प्रिय साथियों,
सैकड़ों वर्षों की गुलामी से कठिन संघर्षों के पश्चात् मिली आजादी के बाद भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था को इसलिए अपनाया गया कि देशवासियों का शीघ्र ही कायाकल्प हो जाएगा| किन्तु ऐसा कुछ भी नहीं हो सका|विदेशी हाथों से सत्ता का हस्तांतरण देशी हाथों में हुआ लेकिन प्रशासनिक ढांचा लगभग वही रहने के कारण शोषण और दमन में कोई खास सुधार नहीं हुआ|
संविधान में राजनीतिक दल के संदर्भ में कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं होने के करण शासन करने के उद्देश्य से जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत राजनीतिक पार्टियों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई|67 वर्षों में कई पार्टी,मोर्चा व गठबंधन की सरकार बनने के बावजूद भी आम जनता के हालात में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ|जनता की हसरतें अधूरी रह गई|
देश में सत्ता परिवर्तन और व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर कई सरकारें आई और गई किन्तु देश की परिस्थितियां और संकटग्रस्त होती चली गई|गुलाम भारत के जीवंत अनुभवों के साथ जी रहे अधिकांश बुजुर्गों को देशी शासकों से और ज्यादा निराशा ही मिली है| वर्तमान राजनीतिक माहौल पर गहन चिन्तन के बाद अब तो पूरी तरह यकीन हो चला है कि केवल सरकार बदलने से स्थिति नहीं बदल सकती है|जब सरकार बनाने और बिगाड़ने वाली पार्टियों के अन्दर लोकतांत्रिक मूल्य पूरी तरह खत्म हो चुका है तो वैसी पार्टियों से देश में लोकतांत्रिक सरकार की कल्पना कैसे की जा सकती है?
जिन बुराईयों के खिलाफ कई-कई पार्टियाँ बनी पर उनमें वे सारी बुराइयाँ आती गई|प्रायः सभी राजनैतिक पार्टियों में वंशवाद ,जातिवाद,परिवारवाद का बोलबाला है|धन और बहुबल के आधार पर निष्ठावान कार्यकर्ताओं को दरकिनार किया जाने लगा है|पार्टियों के अन्दर संवैधिनिक परंपराओं को ताख पर रखकर लोकतांत्रिक मूल्यों की धज्जियाँ उड़ाते हुए सुप्रीमो संस्कृति हावी हो गई है|लगभग सभी पार्टियों में दुर्गुणों के अलावा सुप्रीमो की तानाशाही का आलम ये है की कब किस समर्पित कार्यकर्ता को बाहर का रास्ता दिखाकर किसी मनबढू,धनबढू,बलबढू जैसे लोगो को शीर्ष पर बैठा दिया जायेगा इसका अनुमान तक लगाना मुश्किल है|
इन विपरीत परिस्थितियों से सामना करने और इसका ठोस समाधान निकालने की दिशा में सभी राजनैतिक पार्टियों एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों के जागरुक साथियों ने ‘सर्वदलीय कार्यकर्ता विचार मंच’ का गठन कर पहल की है|
तो आइये;हम सभी मिल जुलकर कुछ ऐसा स्थायी विकल्प की तलाश करें जिससे देश में स्वस्थ एवं पारदर्शी लोकतंत्र की स्थापना हो सके और सचमुच में व्यवस्था परिवर्तन कर आम जनता की आजादी के ख्वाबों को एक ताकिर्क अंजाम दिया जा सके..
इसी विषय को लेकर विगत 5 जून 2014 को पटना के आई एम ए हॉल में हुए कार्यक्रम में उपस्थित कई राजनितिक दलों के साथियों ने ''सर्वजन समाज'' नामक संगठन का निर्माण किया। राघवेन्द्र सिंह कुशवाहा को इस नव निर्मित संगठन का प्रदेश संयोजक बनाया गया। इस अवसर पर श्री कुशवाहा ने कहा कि यथाशीघ्र संगठन का विस्तार किया जायेगा।
इसी विषय को लेकर विगत 5 जून 2014 को पटना के आई एम ए हॉल में हुए कार्यक्रम में उपस्थित कई राजनितिक दलों के साथियों ने ''सर्वजन समाज'' नामक संगठन का निर्माण किया। राघवेन्द्र सिंह कुशवाहा को इस नव निर्मित संगठन का प्रदेश संयोजक बनाया गया। इस अवसर पर श्री कुशवाहा ने कहा कि यथाशीघ्र संगठन का विस्तार किया जायेगा।
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