आज गणतंत्रता दिवस है। कुछ लोग इसका जश्न मना रहे हैं, कई लोग इसे देख रहे हैं और अधिकांश लोगों को इससे कोई मतलब नहीं है।
आज के दिन देश का संविधान लागू हुआ था। कहा जाता है कि देश नेअपना कानून बनाया और तब से भारतीय संविधान से अपना शासन शुरू हुआ।
सत्तर सालों में संविधान के पहले पन्ना का भी आदर्श आज यथार्थ में कहां है। न्याय, समता व बंधुत्व को स्थापित करने का देशी शासकों का संकल्प आज कितना सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक न्याय दे सका है।
देशी शासकों ने भी जिस तरह से कानून का माखौल उड़ाया है उससे यही लगता है कि कानून इनकी रखैल से ज्यादा कुछ नहीं है। कानून सिर्फ इन लोगों का वह हथियार है जिस का भय दिखाकर आम लोगों का शोषण करते हैं। भारत आज भी देशी शासकों का गुलाम है।
आजादी के बाद देशी हुक्मरानों ने जितना देश को लूटा है उसके मुकाबले में उसके पहले के शासक भी झूठा है । विश्व आर्थिक रिपोर्ट 2019 के मुताबिक भारत में सिर्फ 9 लोगों के पास इतनी संपत्ति है कि जो देश की कुल संपत्ति के 50% से भी ज्यादा है। जरा गौर करें कि आखिर यह हो क्या रहा है? देश में पनपते उग्रवाद और अपराध की वजह अभाव और असुरक्षा भी है।
आज देश में नई आजादी की संकल्प की आवश्यकता है जिससे गणतंत्र की जगह गुण तंत्र की स्थापना हो सके।
जय भारत,
राघवेन्द्र सिंह कुशवाहा
आज के दिन देश का संविधान लागू हुआ था। कहा जाता है कि देश नेअपना कानून बनाया और तब से भारतीय संविधान से अपना शासन शुरू हुआ।
सत्तर सालों में संविधान के पहले पन्ना का भी आदर्श आज यथार्थ में कहां है। न्याय, समता व बंधुत्व को स्थापित करने का देशी शासकों का संकल्प आज कितना सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक न्याय दे सका है।
देशी शासकों ने भी जिस तरह से कानून का माखौल उड़ाया है उससे यही लगता है कि कानून इनकी रखैल से ज्यादा कुछ नहीं है। कानून सिर्फ इन लोगों का वह हथियार है जिस का भय दिखाकर आम लोगों का शोषण करते हैं। भारत आज भी देशी शासकों का गुलाम है।
आजादी के बाद देशी हुक्मरानों ने जितना देश को लूटा है उसके मुकाबले में उसके पहले के शासक भी झूठा है । विश्व आर्थिक रिपोर्ट 2019 के मुताबिक भारत में सिर्फ 9 लोगों के पास इतनी संपत्ति है कि जो देश की कुल संपत्ति के 50% से भी ज्यादा है। जरा गौर करें कि आखिर यह हो क्या रहा है? देश में पनपते उग्रवाद और अपराध की वजह अभाव और असुरक्षा भी है।
आज देश में नई आजादी की संकल्प की आवश्यकता है जिससे गणतंत्र की जगह गुण तंत्र की स्थापना हो सके।
जय भारत,
राघवेन्द्र सिंह कुशवाहा
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