Monday 8 August 2011

चोर की मां कौन ?---रोशन लाल अग्रवाल


चोर की मां कौन ?-

चोर की मां कौन ?

रोशन लाल अग्रवाल
 
 यह देश घोटालों का शिकार है आए दिन एक से एक विकराल घोटालासामने आता रहता है अब हम लोग भी इनके अभ्यस्त हो गए हैं औरसबने इसे वर्तमान व्यवस्था का सामान्य हिस्सा मान लिया है। 

इसके कारण जब भी कोई घोटाला सामने आता है तो बहुत बड़ा होनेपर भी पांच सात 10 दिन के लिए तो चर्चा में रहता है लेकिन बाद मेंवह अभी सबके ध्यान से उतर जाता है ऐसा लगता है कि हम नेघोटालों को सहज रुप से अपनी व्यवस्था का हिस्सा मान लिया है औरइन को लेकर हमारी संवेदना भी समाप्त हो गई है। 

क्या आप इस स्थिति को खतरनाक मानते हैं या फिर इसे एक सामान्य प्रक्रिया मानते हुए इसकी उपेक्षा कर दीजानी चाहिए यदि हम इसे गंभीरता मांगते हैं तो हमें वर्तमान संवेदनहीनता का कारण समझना चाहिए औरइसके समाधान का उपाय भी पूरी गंभीरता के साथ करना चाहिए। 
मेरी समझ में तो यह एक अत्यंत गंभीर मामला है और इससे संपूर्ण सामाजिक व्यवस्था पूरी तरह नष्ट होसकती है इसलिए इसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। 
मेरी समझ में इस समस्या का मूल कारण अपने देश में निजी संपत्ति की गोपनीयता का कानून है जो हरव्यक्ति को अधिक से अधिक मात्रा में समाज से छिपाकर धन संग्रह करने को प्रेरित ही नहीं करता बल्कि बाध्यकरता है। 
यह जानते हुए भी कि हर व्यक्ति प्राकृतिक रूप से लोभ लालच और स्वार्थ की दुष्टप्रवृती का शिकार होता हैजिस पर अंकुश रखना अनिवार्य है इस प्रकार की गोपनीयता का कोई औचित्य नहीं होता और इसे कायमरखकर सच पर आधारित व्यवस्था का निर्माण नहीं किया जा सकता। 
इसलिए यदि हम अनेक प्रकार के षडयंत्रों घोटालों और अनेक प्रकार की जटिल समस्याओं से मुक्ति चाहते हैंतो हमें निजी संपत्ति की गोपनीयता के काले कानून को सबसे पहले समाप्त करना होगा इसलिए की उसकेबिना घोटालों और षडयंत्रों को दूर करना तो असंभव है हम उनकी वास्तविक संख्या को भी नहीं जान पाएंगे। 
कहावत है कि चोर को नहीं चोर की मां को मारा जाना चाहिए ताकि आगे चोर पैदा होने बंद हो जाएं। निजीसंपत्ति की गोपनीयता का कानून वही चोरों की मां है जो सारे चोर पैदा कर रही है और इसे तत्काल समाप्तकिया जाना चाहिए। यही है आर्थिक न्याय- हमें गरीबी नहीं अमीरी रेखा बननी चाहिए। 
ब्लागिंग रिपोटिंग - एस. जेड. मालिक(पत्रकार)

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